< वापस शस्य पद्धति की सूचि पर जाएँ
वी एन आर अमरूद बीही के पौधों को आधार या स्टेकिंग पर बाँधना
हम सभी जानते हैं कि नर्सरी से लाए पौधे विभिन्न प्रकार की वानस्पतिक वृद्धि ग्रहण किये हुऐ होते है| पौधरोपण के पश्चात उन्हें निश्चित दिशा में बढ़ाने की आवश्यकता होती है|जिससे हमे सीधे तने पर निर्मित एक अच्छा वृक्ष मिल सके, जिसकी की वानस्पतिक वृद्धि चारों दिशाओं में एक समान हो|
इस स्थिति को प्राप्त करने का प्रयास पौधरोपण के साथ ही प्रारंभ हो जाता है| इस प्रथम प्रयास को स्टेकिंग अथवा पौधे को आधार प्रदान करना कहते हैं|
स्टेकिंग अथवा आधार क्यों करना चाहिये ?
- पौधों के तने को सीधा रखने के लिये
- हवा के दबाव में पौधे की क्षति रोकने के लिये
- ग्राफ्टिंग अथवा बडिंग जोड़ को टूटने से बचाने के लिये
स्टेकिंग कब करना चाहिये ?
पौधरोपण के साथ ही स्टेकिंग करना लाभप्रद है|
स्टेकिंग कब तक लगाकर रखना चाहिये ?
स्टेकिंग प्रायः 18 से 24 महीने की उम्र तक लगी रहनी चाहिये परंतु अच्छे शस्य प्रबंध के कारण यदि पौधे मजबूत हो जाये (तना – 2 से 3 इंच) तो इसे निकाल देना चाहिये|
स्टेकिंग करने के लिए किन–किन चीजों की आवश्यकता होती है ?
- 2 इंच मोटा सीधा बाँस – 6 फीट लंबाई
- मीडियम मोटाई की सुतली
- हथौड़ी
वी एन आर बीही की स्टेकिंग में मुश्किले –
आसान परंतु विशिष्ट प्रक्रिया
स्टेकिंग क्रमानुसार–
- 2 इंच मोटे और 6 फीट लम्बे बाँस को ले|
- बाँस को तने से 4 से 6 इंच की दूरी पर जमीन में गाड़े|
- निश्चित करे कि 1 फीट बाँस जमीन के अंदर है|
- सुतली से पौधे को 2 स्थान पर बाँधे प्रथम जमीन की सतह से 4-6 इंच उपर , द्वितीय पौधे की उपरी पत्ती से 3 – 4 इंच नीचे , पौधा सीधा रखें|
स्टेकिंग में महत्वपूर्ण बिंदु
1. बाँस की लंबाई और मोटाई – 2 इंच एवं 6 फीट की माप अनुभव के आधार पर निर्धारित है| 18 – 24 महीने की उम्र तक बाँस का उपयोग करना है इसलिए मजबूत एवं उचित लंबाई का बाँस आवश्यक है| पतले एवं छोटे बाँस लगाने पर स्टेकिंग कई बार करनी पड़ती है| जो अधिक श्रम युक्त और खर्चीली है|
2. जमीन में बाँस गाड़ना – यह प्रक्रिया पौधे के इतनी समीप ना हो कि जड़ों को क्षति पहुंचे और ना ही इतनी दूर हो कि पौधा सीधा न बाँधा जा सके|
3. बाँस का स्वस्थ / कीट रहित होना- कीड़े /दीमक लगे अस्वस्थ बाँस का उपयोग ना करें|
4. सुतली का ही उपयोग करें नायलॉन और प्लास्टिक रस्सी नहीं उपयोग करनी चाहिये|
पौधे के तने कच्चे होते हैं इसलिए सुतली का प्रयोग सर्वोत्तम है नायलॉन या प्लास्टिक की रस्सी तनों एवं शाखाओं को क्षति पहुंचाता है|
अत्यधिक दबाव या कसाव न करें
पौधे को बाँस में सटाकर न बांधे रगड़ / घर्षण से तने एवं शाखाये क्षतिग्रस्त हो सकती है
सुतली से पौधे एवं बाँस को संख्या आठ (8) विधि से बांधे इस विधि में पौधों पर अधिक दबाव नहीं पड़ता और भविष्य में वानस्पतिक वृद्धि होने पर रस्सी तने या शाखाओं को क्षतिग्रस्त नहीं करती है|
पौधे को दो स्थानों पर बाँधना आवश्यक – इस प्रकार हम पौधे को सीधा रख पाते हैं जो भविष्य के आकार के लिए आवश्यक है|
संभावित गलतियां –
- देर से स्टेकिंग करना|
- छोटे बाँस / लकड़ी को प्रयोग करना|
- पौधे से दूर या अत्यंत समीप बाँस लगाना|
- पलास्टिक या नायलॉन रस्सी का उपयोग करना|
- पौधे को एक जगह बाँधना|
- पौधे को बाँस सटाकर बहुत कस कर बाँधना|
- वानस्पतिक वृद्धि के अनुसार ऊपरी हिस्से की रस्सी को उपर न खिसकाना / बाँधना|
- तने को सीधा रखने का प्रयास ना करना|
स्टेकिंग हुए पौधों की देखभाल
- समय-समय पर बाँस की जांच करें दीमक या अन्य कीट के प्रकोप में दवा का छिड़काव करें अन्यथा बाँस बदले
2. पौधे के वृद्धि के अनुसार उपर की रस्सी नियंत्रित करें
3. पौधे की वृद्धि की जांच करें और आवश्यकता पड़ने पर 1-2 जगह और बांधे