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वी एन आर बीही अमरूद के लिए भूमि की तैय्यारी
- उच्च स्थल सर्वेक्षण (Elevation Survey)
- गहरी जुताई करना
- मिट्टी के ढेलो को तोड़ना
- समतलीकरण एवं ढाल बनाना
- जल निकासी की नाली बनाना
- ऊंची सतह की क्यारी / बेड बनाना
- क्यारियों की दिशा निर्धारित करना
- पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी
- पौधरोपण के लिए गड्ढे बनाना
सर्वप्रथम खेत के उच्च स्थल एवं ढलान को चिन्हित करते हैं|
1.उच्च स्थल सर्वेक्षण (Elevation Survey)
भारत में अथवा विश्व में कहीं भी हमारे खेत समतल, ढलान युक्त ,उबड़ –खाबड़, टीले नुमा नीचे की तरफ दबे हुए (धान के खेत ) होते हैं| सर्वप्रथम हमें यह अध्ययन करने की आवश्यकता है कि हमारे खेत इसमें से किस प्रकार के हैं| इस अध्ययन के लिए Precision contour survey एक उपयुक्त विधि है| इस सर्वे से निम्नलिखित जानकारी मिलती है –
- खेत के ढाल की दिशा
- खेत में उपलब्ध नीचे की एवं ऊपर की ओर उठी एवं दबी स्थिति
- उपयुक्त जल निकासी के स्थान
- यह सर्वेक्षण देश में कई जगहों पर कराने की सुविधा उपलब्ध है
- किसी भी फल के बगीचे के लिए खेत में उपयुक्त ढाल एवं जल निकासी सुविधा अनिवार्य है
2. गहरी जुताई
खेत में उपयुक्त ढाल एवं जल निकासी का कार्यक्रम तय करने के बाद हमें इसे भौतिक रूप से क्रियान्वित करना होता है| इस क्रम में सबसे पहले गहरी जुताई करनी होती है|
बहुत से किसान भाई पूछते हैं कि गहरी जुताई की आवश्यकता क्या है ?
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गहरी जुताई 15 इंच या 18 इंच के हल से कराने पर मिट्टी के अंदर की सख्त सतह टूट जाती है , फल वृक्षों की जड़ों के उचित विकास के लिये यह आवश्यक है|
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इस विधि की जुताई मिट्टी में पानी और नमी की उपयुक्त मात्रा जड़ सतह तक पहुंचाने में सहायक है|
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इस तरह की जुताई से मिट्टी में विद्यमान कीट उनके अंडे, लार्वा इत्यादि धूप के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं|
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मिट्टी में उपलब्ध तरह-तरह के खरपतवार एवं उनके बीज अधिक तापमान के संपर्क में आने से मर जाते हैं| (जुताई के पश्चात खेत को कम से कम 15 दिनों के लिये धूप में छोड़े)
3. मिट्टी के ढेलो को तोड़ना
गहरी जुताई के बाद मिट्टी के ढेलो को एक भारी रोटावेटर से तोड़ना आवश्यक है| यह क्रिया जुताई के 10 से 15 दिन के उपरांत मिट्टी के अच्छी तरह सूख जाने के बाद करनी चाहिए|
- इस क्रिया से मिट्टी की संरचना बेहतर होती है और खेत की सतह के समतलीकरण के लिए यह जरूरी है|
4. समतलीकरण एवं ढाल बनाना
यह क्रिया उपयुक्त जल निकासी सुनिश्चित करती है| 200 – 250 फ़ीट लम्बे क्षेत्र को एक बार में बनाना अच्छा एवं कम खर्च युक्त होता है | खेत का ढाल 0.5 % से 0.75 % तक ही रखना उचित है अन्यथा मिटटी बहने / Soil Erosion की संभावना रहती है
5. जल निकासी की नाली
2 फीट गहरी और 2 से 3 फीट चौड़ी नाली खेत के वर्षा जल की निकासी के लिए अवश्य बनानी चाहिए| खेत में जलभराव फल वृक्षों की जड़ों के लिए नुकसानदेह है|
6. ऊंची सतह की क्यारी / बेड बनाना
आवश्यकता – ऊंची सतह की क्यारियां बनाने का प्रमुख उद्देश्य मिट्टी से एवं जड़ क्षेत्र से अतिरिक्त जल एवं नमी को दूर करना है, बेड पर तीन तरफ से हवा एवं धूप का पहुंचना इसमें सहायक है|
इस तरह की क्यारियां बनाने से हमें बहुत तरह के फायदे हैं, जैसे मिट्टी में उचित जल बहाव जो उपयुक्त नमी के लिए आवश्यक है ,उपयुक्त नमी एक अच्छे जड़ क्षेत्र की संरचना करती है, इस बेड पर खरपतवार प्रबंधन आसान है, हाथ से या मल्चिंग के द्वारा हम इसको अच्छी तरह कर सकते हैं|
ऊंची सतह; एवं भुरभुरी मिट्टी ड्रिप सिंचाई को सुविधाजनक बनाती है, ड्रिप से खाद/उर्वरक दिए जा सकते हैं| ऊंची सतह की वजह से ड्रिप लाइन जल्दी खराब नहीं होती है और लंबे समय तक उपयोग योग्य रहती है| बेड पर आवागमन नहीं होता है इस कारण पौधों को क्षति पहुंचने की संभावना कम रहती है|
इस विद्या / प्रकार की क्यारियों में मृदा श्वसन की बेहतर संभावना रहती है, जिसके फलस्वरूप जड़ों का बेहतर विकास और फल वृक्ष की बेहतर सेहत अधिक उत्पादन का कारण बनती है|
7. क्यारियों की दिशा निर्धारित करना
वी एन आर बीही के पौधों को उपयुक्त सूर्य की रोशनी प्राप्त हो इसके लिए बेड उत्तर दक्षिण दिशा में ही बनाते हैं, दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में यह किसी भी दिशा में हो सकता है क्योंकि सूर्य की गति के अनुरूप बेड बनाने चाहिए तभी पौधों पर सूर्य का अधिक प्रकाश सुनिश्चित किया जा सकता है|
उत्तर दक्षिण दिशा में पौधरोपण करने से फल वृक्ष की छाया दो बेड के बीच के खाली स्थान पर पड़ती है और प्रत्येक वृक्ष को; अधिकाधिक सूर्य प्रकाश उपलब्ध होता है , पूर्व पश्चिम दिशा में पौधरोपण से फल वृक्ष की छाया पास के फल वृक्ष पर पड़ती है; जिससे सूर्य के कम प्रकाश की उपलब्धता होती है|
ऊंची सतहो के बेड 15 से 18 इंच ऊँचे ,30 से 36 इंच चौड़े बनाने चाहिये|
जलभराव के क्षेत्र में भरने वाले जल का ऊंचाई x 3 के हिसाब से क्यारी बेड बनाये उदाहरण – 6 इंच पानी भरता है तो = 6 x =18 इंच का बेड
पौधरोपण के लिए बेड बनाते समय बेड से बेड की दूरी की माप बेड के सेंटर से लिया जाना चाहिये|
2 फीट x 2 फीट x 2 फीट या अन्य माप के गड्ढे बेड के ऊपर बनाने चाहिये जिससे कम्पोस्ट पौधरोपण क्षेत्र में ही उपलब्ध रहकर नव पौध की वृद्धि में सहयोग करें|
8. पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी –
उपरोक्त दूरी लगने वाले फल वृक्ष की आवश्यकता एवं बाग प्रबंधन के तरीके पर निर्भर करता है | दिन प्रतिदिन मजदूरों की घटती उपलब्धता और यांत्रिक सुविधाओं को ध्यान में रखकर यह दूरी तय की जा सकती है उदारण:
- वी एन आर बीही अमरुद – यंत्र – छोटा / हॉर्टिकल्चर ट्रैक्टर
- उपयुक्त दूरी- 12 फ़ीट x 8 फ़ीट- 450 पौधे / एकड़
9. पौधरोपण के लिए गड्ढे बनाना
गड्ढे हाथ एवं यंत्र दोनों से बनाये जा सकते हैं | यंत्र से बनाना सरल एवं कम खर्चीला होता है एवं सभी गड्ढे एक समान होते हैं|