अमरूद के बगीचे में लगने वाला यह रोग ग्लाइऑक्सीस्पोरियम कवक / Fungus से लगता है |
लक्षण – शाखाओं के शीर्ष पर
मुख्यतः इसके लक्षण शाखाओं के शीर्ष पर नई वानस्पतिक वृद्धि (नई पत्तियों व शाखा के शीर्ष) पर दिखते है| नई वानस्पतिक वृद्धि हरे से भूरे एवं गाढ़े भूरे रंग में परिवर्तित होते हुए नीचे की तरफ बढ़ती है | और धीरे-धीरे पूरी शाखा को सुखा देती है| वातावरण में अगस्त सितंबर माह में गर्मी एवं आद्रता/उमस अधिक रहती है , उसी समय इसका प्रकोप सर्वाधिक होता है|
फलों पर लक्षण
- फलों पर सुई के नोक के बराबर या उससे अधिक बड़े काले / भूरे बिंदु दिखाई देते हैं जो समय के अनुसार बड़े होते जाते हैं| यह बिंदु गोल एवं अंदर की तरफ धसे हुए होते हैं इनके केंद्र में एक काला रंद्र / स्टोमेटा भी स्पष्ट होता है|
- इसमें Spore Masses / बीजाणु जन का क्रीम कलर का उत्पादन बारिश के मौसम में या अधिक नमी होने पर होता रहता है| फल के जिस भाग में संक्रमण होता है वह सख्त हो जाता है और अधिक रोग ग्रस्त होने पर क्रैक या फट जाता है| अमरुद की कलियों और पुष्पों पर भी इसका संक्रमण होता है और वो टूट कर जमीन पर गिर जाती है ,पत्तियों के टिप पर और किनारों पर नेक्रोटिक घाव हो जाते हैं, जो गाढ़ी राख के रंग के होते हैं| पत्तियों फूलों एवं फलों के जमीन में गिरने से रोग बढ़ता जाता है|
रोग का प्रसार / Mode of spread
- रोग ग्रसित पत्तियो, फूलों एवं फलो से हवा के साथ भी बीजाणु स्पोर्स बगीचे में फैलते हैं और अन्य पौधों को ग्रसित करते हैं|
- अधिक घने एवं छायादार पौधे/वृक्ष में भी बीजाणु अधिक संख्या में पनपते हैं क्योंकि उनमें नमी संग्रहण की क्षमता अधिक होती है|
अधिक प्रसार के कारण
- पौधों का अधिक नजदीक पौधरोपण एवं पौधों को उचित प्रशिक्षण न करना (धूप एवं हवा का अभाव)
- फलों,पत्तियों ,डालियों को कटाई एवं थिनिंग के पश्चात बगीचे की सतह पर छोड़ देना
- ओस और वर्षा जल नमी बढ़ाते हैं इस वातावरण में बीजाणु का तेजी से पनपना
- समय रहते उपयुक्त उपचार ना करना
प्रबंधन –
- बोर्डो मिक्सचर 3 : 3 : 50 अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर प्रारंभिक स्थिति में स्प्रे करना चाहिए|
- फलों की बैगिंग करना (50 ग्राम की अवस्था होने पर)|
- बीमारी से बचाव के लिए बैगिंग से पहले क्लोरोथालोनिल 75 % डब्लू. पी. 2 ग्राम अथवा थायोफेनेट मिथाइल 1 ग्राम अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करना चाहिए|
- बगीचे को पूर्णत: स्वच्छ रखना|