रोग प्रबंधन : कैंकर रोग

कैंकर रोग अमरुद में लगने वाला एक रोग है जो एक कवक / Fungus  पेस्टालोटिया सीडी से होता है|

 लक्षण

  • यह रोग साधारण हरे फलों पर लगता है, पत्तियों पर इस रोग का प्रकोप बहुत ही कम होता है इस रोग का प्रथम लक्षण फलों पर एक बहुत ही छोटा भूरे अथवा तांबे के रंग का गोल / गला हुआ भाग / नैक्रोटिक एरिया दिखाई देता है, जो आगे चलकर बड़ा होता हुआ फल की बाहरी दीवार/ उतक / छिलके को क्षति पहुँचता है|
  • इस रोग के लगने पर संक्रमित क्षेत्र उबड़ खाबड़ / ऊंचा नीचा दिखता है, रोग के कारण फल के बाहरी आवरण व गूदे के एक हिस्से पर संक्रमित होने के लक्षण दिखते हैं|
  • अत्यधिक संक्रमण / रोग के पुराने होने पर फल पर सफेद माइसीलियम बीजाणु के साथ दिखता है, इस अवस्था या इसके पश्चात फल फट जाता है और बीज दिखने लगते हैं|
  • संक्रमित फल का विकास रूक जाता है / धीमा हो जाता है फल कठोर होकर गिर जाते हैं|
  • बारिश में छोटे छोटे लाल धब्बे फलों पर दिखते हैं जो शीत ऋतु आते आते बड़े हो जाते हैं|

 

 

 

 

प्रसार – इसके रोगाणु / Pathogen चोटिल/ क्षत परजीवी होते हैं| फलों को चोट लगने से / घाव होने से बचाएं फलों की बैगिंग काफी हद तक इस समस्या को नहीं आने देती|

अधिक संक्रमण के कारण – इसके रोगाणु 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापक्रम एवं 98 % RH के समय अधिक सक्रिय होते हैं|

रोग का प्रबंधन

  • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव (2 ग्राम प्रति लीटर जल) फल बनने की अवस्था पर ही करें|
  • फल साइज 50 ग्राम होने पर फलो की बैगिंग करे|
  • बैगिंग में फोम नेट का उपयोग अवश्य करें इससे फलों को चोट लगने की संभावना कम होती है|
  • रोग लगने की प्रारंभिक अवस्था में 1 % बोर्डो मिक्सचर और लाइम सल्फर का छिड़काव 15 दिन के अंतर पर करें|