इस बीमारी का कवक / Fungus फाइटोप्थोरा पैरासिटिका है|
लक्षण
- इस रोग के लक्षण पुष्पकोश \ Calyx Disc पर बारिश के मौसम में दिखने लगते है, संक्रमित क्षेत्र रूई जैसा सफेद आकार ग्रहण करना प्रारम्भ करता है, और 3-4 दिन में पूरे फल को नमी के वातावरण में संक्रमित कर देता है|
- अत्यधिक नमी के वातावरण में जमीन के नजदीक की डालियों पर लगे फल सबसे ज्यादा संक्रमित हैं|
- संक्रमण की अवस्था में फल जो रुई जैसे सफ़ेद आवरण में रहता है को हटाने पर एवं फल के छिलके को दबाने पर फल मुलायम हुआ सा प्रतीत होता है ,छिलका हल्के भूरे अथवा काले भूरे रंग का हो जाता है ,फल से बदबूदार महक निकलती है और ऐसे फल या तो डालियो पर बने रहते है अथवा नीचे गिर जाते है|
प्रसार
- वर्षा,नमी और हवा से इसका प्रसार होता है|
- 25 0c तापमान पर बीजाणु/ Spores रोग ग्रसित फल से अन्य फलों और पौधों पर इसके संक्रमण को बढ़ाते हैं जो धीरे-धीरे पूरे बगीचे में फैला सकते है|
- 15 0c से कम और 35 0c से अधिक तापमान पर संक्रमण का खतरा कम होता है|
अत्यधिक संक्रमण
- ठंडा नमी युक्त वातावरण भीगी / तर जमीन होने की दशा|
- पौधे या फलों में चोट / घाव, बगीचे से जल निकासी की उपयुक्त सुविधा का ना होना|
- काफी नजदीक पौध रोपण,सूर्य के प्रकाश की पौधे पर कमी का होना|
प्रबंधन
- डाईथेंन Z – 78 (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) अथवा रिडोमिल या एलियट या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतर पर 2 बार करें|
- रिडोमिल /एलियट /कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 ग्राम/ लीटर जल) से तने के आसपास ड्रेन्चिंग करें और घोल को जड़ तक पहुंचाने की मात्रा में दे|
- पौध एवं लाइन की दूरी तथा पौध प्रशिक्षण इस प्रकार करें जिससे अधिक हवा एवं सूर्य का प्रकाश पौधे को मिल सके|