यहां रोग कवक / Fungus के कारण होता है और इस कवक को फॉमोप्सिस सीडी कहते हैं|
लक्षण
- इस रोग के लक्षण फल में दिखाई देते हैं , फल के निचले भाग में फल का रंग भूरा /गाढ़ा भूरा हो जाता है, जो बीमार बढ़ने पर कैलिक्स के आसपास/ पुष्पकोश क्षेत्र के पास बढ़ता जाता है और संक्रमित क्षेत्र मुलायम हो जाता है|
- फल की मध्यभित्ति/ बीज के आसपास का गुदा क्षेत्र हल्का भूरा हो जाता है|
- संक्रमण बढ़ने पर फल सिकुड़ जाता है , फल पर पूर्ण संक्रमण होने पर फल का अधिकांश भाग (छिलका एवं गूदा) भूरे या गाढ़े रंग का हो जाता है| उपयुक्त देखभाल न करने पर बगीचे में 10-15 % फल की क्षति होती है|
प्रबंधन
- वर्षा ऋतू के अंत में अथवा शीत ऋतू के प्रारम्भ में|
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम या थायोफेनेट मिथाइल 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर फल आने के पूर्व स्प्रे करना लाभप्रद है|
- फलो को चोट से बचाये, बैगिंग करना बेहतर है|