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पौधरोपण एक महत्वपूर्ण क्रिया है , किसानों को इसे भली-भांति समझ कर ही प्रारंभ करना चाहिये, गलत अथवा त्रुटिपूर्ण पौधरोपण भविष्य में बहुत सी परेशानियां लाता है, अतः सभी प्रक्रियाएं सही एवं सुचारु रुप से संपादित करनी चाहिये|
पौधरोपण का समय – जलवायु एवं मौसम के आधार पर पानी एवं श्रमिक की उपलब्धता को ध्यान में रखकर निर्धारित करना चाहिये
प्रारंभिक गर्मी में (फरवरी -अप्रैल ) – सूर्योदय से प्रात 9 से 10 बजे तक एवं सायं 4 बजे से 6 -7 बजे तक संपूर्ण भारत में पौधरोपण संभव| (उत्तर भारत में फरवरी – मार्च में दिन भर)
व र्षा ऋतु में (जून – सितंबर) – अतिवृष्टि की दशा को छोड़कर कभी भी पौधरोपण कर सकते हैं|
शीत ऋतु में (अक्टूबर – जनवरी) – पूर्वी एवं उत्तरी भारत में पौधरोपण ना करें , पश्चिमी और दक्षिणी भारत में कर सकते हैं| (स्थान विशेष मौसम पर आधारित)
प्रारंभिक गर्मी में (फरवरी -अप्रैल) पौधरोपण करने पर पौधों को गर्म हवा एवं वातावरण की गर्मी से राहत देने के क्रम में निम्न उपाय कारगर है| इन उपाय से आप गर्मी में अपने पौधों को तेज धूप एवं गरम हवा से प्रभावित होने से बचा सकते है|
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वृक्षारोपण के लिए कदम
चरण # 1: पौधों को पौधरोपण स्थल पर ले जाना
चरण # 2: छोटा गड्ढा खोदना
चरण # 3: पॉलीबैग को पौधे की मिट्टी से अलग करना (काटना नहीं)
चरण # 4: पौधे को पौधरोपण के लिए गड्ढे में रखना
चरण # 5: पौधरोपण के पश्चात मिट्टी भरना
चरण # 6: मिट्टी समतल करना
चरण # 7: पौधरोपण के पश्चात सिचाई
चरण # 1: पौधों को पौधरोपण स्थल पर ले जाना
अनावश्यक टूट-फूट एवं क्षति से पौधों को बचाने के लिए पौधों को बाँस की, लोहे की, प्लास्टिक की क्रैट में अथवा धमेले में ले जाना चाहिए| तने को पकड़कर ले जाना ग्राफ्टिंग अथवा बडिंग जोड़ को नुकसान पहुंचा सकता है| पौधरोपण से पूर्व की शाम को पौधों को फव्वारे अथवा हजारे से सीचना अच्छा माना जाता है
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चरण # 2: छोटा गड्ढा खोदना
बेड के ऊपर समतल जमीन पर पहले से बने गड्ढे में वीएनआर बिही के पौधे के पॉलीबैग के नाप के बराबर पौधरोपण के लिए स्थान बनाना चाहिए| इस स्थल को बनाने में 1 से 2 इंच के माप का फरक संभव है पर इससे अधिक नहीं गड्ढा बनाने में प्रयुक्त होने वाले औजार
रापा / फावड़ाकुदाल / कुदाली
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3. पॉलीबैग को पौधे की मिट्टी से अलग करना
पौधरोपण के पूर्व की इस प्रक्रिया में किसी धारदार औजार जैसे चाकू, कैची, ब्लेड आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा मिट्टी में उपलब्ध जड़ों के कटने की संभावना रहती है जो पौधे के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी, पॉलीबैग को हाथ से ही निकालना चाहिए|
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4. पौधे को पौधरोपण के लिए गड्ढे में रखना
पौधे को पॉलीबैग की माप के बराबर गहरे गड्ढे में ही रखा जाना चाहिए खेत / बेड की ऊपरी सतह और पौधे की मिट्टी की ऊपरी सतह एक बराबर या अधिकतम 1 से 2 इंच के अंतर पर ही रखें इससे अधिक अंतर काफी नुकसानदेह हो सकता है| अधिक गहराई में रखे गए पौधों में ग्राफ्टिंग या बडिंग जोड़ मिट्टी के अंदर चला जाता है इसके फलस्वरूप कुछ दिनों / हफ्तों में अथवा बडिंग / ग्राफ्टिंग के जोड़ से अथवा उसके ऊपर से जड़े निकलती है जो नुकसानदेह है | हमें मूलवृन्त/ रूटस्टॉक की जड़े एवं वैरायटी पौधे के फल चाहिये यह गहराई में पौधे रखने के कारण संभव नहीं होता | मूलवृन्त कम से कम 4 से 6 इंच मिट्टी के बाहर रहना चाहिये और इस स्थिति को पौधे की पूरी जिंदगी में यथावत रखें
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5. पौधरोपण के पश्चात मिट्टी भरना
समान रूप से फैले गड्ढे की गुहा के चारों ओर मिट्टी भरें। मिट्टी भरते समय, सुनिश्चित करें कि मिट्टी को पौधे के तने की ओर नहीं उठाया जाए और इसे केवल जमीनी स्तर पर रखा जाए।
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6. मिट्टी समतल करना
इसमें आवश्यक है की पौधे की मिट्टी एवं खेत की मिट्टी आपस में एक हो जाये मिट्टी को किसी भी स्थिति में तने के उपर चढ़ा कर नहीं रखना चाहिये|
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7. पौधरोपण के पश्चात सिचाई
पौध रोपण के पश्चात सिचाई अति आवश्यक है कम से कम 8-10 लीटर पानी की मात्रा खेत एवं पौधे की मिट्टी को जोड़ती है ।
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