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वी एन आर अमरूद बीही के पौधों को प्रशिक्षित / ट्रेनिंग करना
पौधों को उचित प्रकार के आकार को प्राप्त करने की क्रिया को पौधों का प्रशिक्षण कहते हैं| इस क्रिया में पौधों को काट छांट कर, बाँधकर, उपयुक्त आधार के सहारे पर वृद्धि कराते हैं|
वी एन आर बीही के पौधों का प्रशिक्षण क्यों आवश्यक है ?
- वीएनआर बीही अमरुद के पौधों को अधिकाधिक प्रकाश एवं हवा की आवश्यकता है इस आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए पौधे में प्रशिक्षण के द्वारा उपयुक्त स्थान बनाते हैं जिससे प्रकाश एवं हवा पौधे के अधिकांश भाग पर अधिक समय तक उपलब्ध रहे, सूर्य के प्रकाश एवं हवा की अधिक उपलब्धता पौधे की वानस्पतिक वृद्धि को गति देती है और बीमारियों एवं कीड़ों से सुरक्षा प्रदान करती है, एक प्रशिक्षित पौधे को उचित प्रबंध जैसे निरीक्षण, स्प्रे, फलों की तोड़ाई प्रूनिंग, कटिंग आदि प्रदान करना सरल एवं अधिक प्रभावी होता है |
- प्रशिक्षित पौधे में अधिक उत्पादन की संभावना अधिक है
पौधे प्रशिक्षण के लिये आवश्यक सामग्री
- सिकेटियर / कटर
- सुतली
- नाप / माप हेतु टेप
वी एन आर बीही के पौधों का प्रशिक्षण कैसे करें ?
शीर्ष कटिंग – पौधरोपण के पश्चात पौधे जब 2 फीट के हो जाये तो तने के शीर्ष को समतल काट दे इस क्रिया से इस ऊंचाई तक नई शाखाओं के आने की संभावना बढ़ती है| पौधे पौधरोपण के पश्चात तकरीबन 30 से 45 दिन में 2 फीट से अधिक ऊंचाई के हो जाते हैं इस क्रिया को जब सब पौधे / अधिकांश पौधे 2 फीट से बड़े हो जाए तब करना चाहिये|
शीर्ष कटिंग / टॉप कटिंग के पश्चात पौधे में ग्राफ्टिंग अथवा बडिंग जोड़ के ऊपर जगह-जगह से नई शाखाओं का आगमन होता है जमीन से 18 इंच से ऊपर की उन शाखाओं का चयन करते हैं जो विपरीत दिशाओं में हो| एक ही दिशा की कई शाखाएं होने पर उसमें से एक का चयन करते हैं यहां चयन स्वास्थ्य एवं उपयुक्त कोण को ध्यान में रखकर कर सकते हैं |18 इंच से 24 इंच की ऊंचाई तक की शाखाओं की संख्या 2 से लेकर 4 या 5 तक हो सकती है 18 इंच से नीचे की शाखाओं को पौधे की पूर्ण आयु तक लगातार निकालते रहना चाहिये|
5 शाखाओं का चयन करने पर 1 शाखा सिर्फ वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयोग करते हैं और शेष 4 शाखाओं को चारों दिशाओं में वृद्धि के लिए रखते हैं| पांचवी शाखा को 5 फीट की लंबाई प्राप्त होने पर काटते हैं |
- तने से निकली शाखाये – प्रथम शाखा
- प्रथम शाखा को 1.5 से 2 फीट पर काटने पर- द्वितीय शाखा
- द्वितीय शाखा को 1.5 से 2 फीट पर काटने पर तृतीय शाखा
प्रथम शाखाये जब 18 से 24 इंच की लंबाई प्राप्त कर ले तब इन्हें काटना चाहिये जिससे इन शाखाओं पर द्वितीय शाखाये आ सके और पौधे उचित आकार की तरफ बढ़े|
पौधे में कभी भी जमीन से 18 इंच की ऊंचाई तक किसी भी प्रकार की वानस्पतिक वृद्धि को नहीं आने देना चाहिये / सुदृढ़ ना होने देना चाहिये पौधे के मूलवृन्त /रूटस्टॉक की वृद्धि बहुत ही नुकसानदेह है और ग्राफ्टिंग जोड़ से ऊपर पर 18 इंच की ऊंचाई से नीचे आने वाली शाखाये शस्य प्रबंध में असुविधा पैदा करती है|
इन शाखाओं की वृद्धि को देखते रहना चाहिये यदि कोई शाखा पास पास एक ही दिशा में हो या पौधे को अंदर की तरफ से क्रॉस कर रही हो तो ऐसी शाखा को निकाल देना चाहिये|
पौधों के प्रशिक्षण में क्या करें क्या न करें ?
क्या करें – पौधों को सुझाव के अनुरूप काटे
क्या न करें – पौधों को कम ऊंचाई पर काटने पर पौधे छोटे हो जाते हैं छोटे पौधों में कम फल प्राप्त होते हैं
क्या करें – शाखाओं को 1.5 से 2 फीट की लंबाई पर काटे और सुतली से बाँस पर अलग अलग बाँधे क्या न करें – सभी शाखाओं को एकजुट / एक साथ ना बांधे ऐसा करने से सभी शाखाएं एक ही दिशा में बढ़ती है और पेड का आकार व्यवस्थित नहीं होता
पौध प्रशिक्षण से संबंधित प्रश्न
कटिंग के पश्चात अगर 5 शाखाएं ना निकले तो क्या करें ?
यह संभव है , ऐसी दशा में जितने भी शाखाये मिले उन्हें 1.5 से 2 फीट की लंबाई पर काटे, इन शाखाओं पर नई शाखाये निकलेगी जिन्हे व्यवस्थित करके पेड को आकार दे|
सभी शाखाओं के एकजुट /एक साथ बाँधने पर क्या हानि है ?
सभी शाखाये इकट्ठी रहेगी तो सूर्य का प्रकाश एवं हवा वहाँ नहीं पहुंचेगी जिससे किट और बीमारियों का प्रकोप हो सकता है एक ही दिशा में बँधी शाखाये उसी दिशा में वृद्धि करेगी और पौधे को अपेक्षित आकर ना मिल सकेगा
पौधे अधिक कटिंग के कारण झाड़ी की तरह है क्या करें ?
कुछ समय के लिए कटिंग छोड़ दे पौधे को 4.5 से 5 फीट की ऊंचाई तक आने दे और पौध प्रशिक्षण के अनुसार आकर बनाये|
पौध प्रशिक्षण के अन्य तरीके
बेड पर 6 – 7 फीट के बाँस लगाकर जी आई तार बांधते हैं और पौधे को व सभी शाखाओं को इस तार से सुतली के द्वारा बांधते हैं इस विधा में अपेक्षित आकार बनाना काफी मुश्किल है क्योंकि 2 दिशाओं में ही शाखाये फैलेगी
पौधे को बाँस के फ्रेम पर बाँधना – बहुत ही अच्छी विधि परंतु अधिक श्रमयुक्त एवं खर्चीली छोटे पौधरोपण क्षेत्र के लिए उपयुक्त|