खेती का तरीका – सनबर्न (सूर्य ताप से फलों और पेड़ का जलना)

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सनबर्न क्या है  ?

फल वृक्षों में सन बर्न एक प्रमुख समस्या है अधिक तापक्रम एवं उच्च विकिरण के कारण सूर्य का प्रकाश पौधे के खुले भाग में सनबर्न की समस्या उत्पन्न करता है|

अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि फल वृक्षों में गर्मियों के मौसम में ट्रेनिंग एवं प्रूनिंग (कटाई -छटाई)  के द्वारा पौधे को आकार तथा बहार प्रबंधन (क्रॉप रेगुलेशन) किया जाता है, जिससे फल वृक्षों में सनबर्न अथवा धूप से झुलसने के कारण क्षति पहुंचती है|

 सनबर्न होने का क्या कारण है ?

  • अमरुद के पौधे को उत्पादक पुष्पन के लिए गर्मियों में प्रूनिंग करते है |
  • प्रूनिंग के कारण पौधे का अधिकांश भाग (तना ,शाखाये )सूर्य के सीधे संपर्क में आ जाता है |
  • पौधे में इसी कारण सनबर्न होता है |
  • सनबर्न की समस्या 32 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापक्रम होने पर होती है |
  • सूर्य की चाल के अनुरूप पश्चिम एवं दक्षिण -पश्चिम दिशा में होने वाले पौधे के भाग को सनबर्न से क्षति की संभावना अधिक होती है |

सनबर्न के फल वृक्ष पर क्या लक्षण दिखाई देते है  ?  

  • सूर्य के तेज प्रकाश का प्रभाव मुख्य रूप से पौधे के मुख्य तने पर अधिक दिखाई देता है |
  • सनबर्न के कारण मुख्य तने में दरार पड़ने लगती है धीरे धीरे यह लक्षण पौधे के ऊपरी हिस्से में भी बढ़ने लगता है |
  • प्रभावित होने की वजह से पौधे का भोजन एवं जल सवहन बाधित हो जाता है इन कोशिकाओं के प्रभावित होने के कारण द्वितीय संक्रमण के रूप में फफूंद जनित बीमारिया लगने लगती है|
  • पौधे में संक्रमित क्षेत्र की अधिकता से जडे भी प्रभावित होती है, जिससे मृदा जनित रोग के आसार बढ़ जाते है |
  • तेज प्रकाश के कारण अमरुद के फल की ऊपरी त्वचा का रंग ईट के रंग के समान लाल पड़ने लगता है, जिससे फल आकर्षक नहीं दिखता है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सनबर्न के लक्षण की जांच फल वृक्ष में कैसे करे  ?

  • सनबर्न के लक्षण की पहचान करने के लिए पौधे के प्रभावित हिस्से की ऊपरी छाल को चाकू के माध्यम से निकाल कर देखें |
  • यदि छाल की कोशिकाओ का हिस्सा भूरा या काला दिखाई देता है तथा प्रभावित हिस्से के ऊपर का हिस्सा हरा दिखाई देता है तो यह सनबर्न के लक्षण है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सनबर्न से बचाव के लिए बगीचे में कौन कौन से  सुरक्षात्मक उपाय किये जा सकते है ?

          बगीचे की उम्र: 0 से 6 महीना

  • जड़ क्षेत्र में संतुलित नमी सुनिश्चित करे गर्मियों में वाष्पोत्सर्जन जड़ क्षेत्र में नमी कम कर देता है इसलिए नमी की निरन्तर जांच कर के नमी सिचाई द्वारा बनाये रखे |
  • नव पौध रोपण में जूट के कपडे /शेड नेट के उपयोग से पौधे को ढके (उत्तर और पूर्व  दिशा में खुला रखे )|
  • आर्गेनिक मल्च का उपयोग पौधे के तने को आंशिक रूप से सनबर्न से बचाता है |
  • मुख्य तने को गर्मियों के मौसम में अख़बार के द्वारा ढक कर रखना लाभप्रद है |

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बगीचे की उम्र – 6 महीना से 2 वर्ष

  • इस उम्र के पौधों को आकर एवं मजबूती के लिए तथा फल प्राप्त करने के लिए प्रूनिंग करना होता है ,प्रूनिंग का कार्य गर्म वातावरण / अप्रैल ,मई ,सितम्बर में नहीं करना चाहिए
  • सुरक्षात्मक उपाय के लिए पौधे के अधिकांश भाग को चूने व ब्लू कॉपर के घोल से पेंट करे

घोल या पेंट बनाने की विधि

  • एक प्लास्टिक की बाल्टी में 10 लीटर पानी तथा 5 किलोग्राम चूना घोलकर 12 घंटे के लिए छोड़ दें |
  • दूसरे प्लास्टिक की बाल्टी में 10 लीटर पानी में 2 किलोग्राम ब्लू कॉपर घोलकर 12 घंटे के लिए छोड़ दें|
  • इसके बाद दोनों बाल्टी के घोल को आपस में अच्छी तरह मिलाकर और इससे वीएनआर बिही के फल वृक्षों पर पेंटिंग करें|

 

 

 

 

 

 

फलों को सनबर्न से बचाने के लिए फलों की बैगिंग करें, फलो में बैगिंग करने की प्रक्रिया की जानकारी के लिए दी गई लिंक पर जाये |

https://www.vnrnursery.in/pop-hindi/bagging/